लेखनी प्रतियोगिता -19-Jun-2022 खिलौना
रामू जब अपना काम करके घर वापिस आरहा था तब उसने सोचा कि आज अपनी छोटी बहिन रानी के लिए गुडि़या लेजाकर उसको दूँगा तब वह कितनी खुश होगी।
रामू कितने दिनौ टैक्सी स्टेन्ड पर लोगौ की गाडिँया धोता था। उसने गाडि़या धोने से पहले एक सुसाइटी के लौगौ की गाडि़या धोने का काम कर लिया था।
गाडी़ धोने के बाद वह घर आता तब तक बारह बज जाते थे। आज उसे पहली मजदूरी मिली थी । आज वह बहुत खुश था आज वह रानी की मन पसन्द गुडि़या़ लेजाकर उसे खुश करना चाहता था।।
रामू खिलौने वाले की दुकान पर पहुँचा ।वहाँ उसने देखा कि दुकान के बाहर एक बच्चा खडा़ है। और वह बच्चा बाहर खडा़ रो रहा है। वह बच्चा खिलौना लेने की जिद कर रहा था । रामू को मालूम हुआ कि उसकी माँ के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बच्चे को खिलौना दिलवाक्षसके । बच्चा यह नही समझता था कि खिलौना दुकानवाला पैसे लेकर देता है।
उस दुकान से बहुत से लोग अपने बच्चौ को खिलौने दिलवाकर निकल रहे थे। वह बच्चे खिलौनौ को हवा में हाथ ऊपर करके इस तरह बच्चे की तरफ दिखा रहे थे जैसे वह उस बच्चे से कह रहे हौ कि देख तुझे तो तेरी माँ खिलौना नहीं दिलवा सकी मुझे मेरी माँ ने खिलौना दिलवा दिया। ऐसा महसूस होरहा था जैसे वह अपनी जीत पर मुस्करा रहे हों।
रामू उस बच्चे को देखकर सोच रहा था कि मेरी बहिन से ज्यादा खिलोने की इस बच्चे को जरूरत है । रामू यह सोचकर उसकी माँ के पास जाकर पूछने लगा," माँजी यह आपका बच्चा क्यौ रो रहा है इसको क्या चाहिए। "
उसकी माँ बोली " बेटा यह खिलौना लेने की जिद करके रो रहा है मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि इसे खिलौना दिलवा सकू। मै घरौ मे झाडू़ पौछा करके जो कमाती हूँ उससे हम दौनौ के पेट के लिए भोजन व कपडा़ का इन्तजाम ही बहुत मुश्किल से हो पाता है। खिलौना कैसे दिलवाऊ। यह यहाँ से जाही नही रहा है। "
रामू को उस पर दया आरही थी उसने उस बच्चे की उँगली पकडी़ और दुकान के अन्दर लेकर गया।
दुकानदार उस बच्चे से पहले से ही नाराज था क्यौकि वह खिलौने को पकड़ कर लेजाने की जिद कर रहा था। और उसकी माँ के पास पैसे कम थे। इसलिए दुकानदार खिलौना देना नहीं चाहता था वह बुढि़या कह रही थी बाकी बचे हुए पैसे मै दस दिन बाद दे जाऊँगी।
लेकिन दुकानदार भी जिद्दी था। उसे पूरे पैसे अभी नकद चाहिए थे। इसी चक्कर में उसके दो तीन ग्राहक चले गये थे। इससे उसका बहुत नुकसान होगया था।
इसलिए वह दुकानदार उस बच्चे पर नाराज होता हुआ बोला," तू फिर अन्दर आगया। यहाँ से बाहर निकल पहले ही तूने मेरा कितना नुकसान करवा दिया है। " और उस दुकानदार ने इतना कहकर उस बच्चे का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर करने लगा।
राम बोला," सेठजी आप इतना क्यौ नाराज हो रहे हो आपको अपने खिलौने की कीमत चाहिए वह मै दूँगा। आप चिन्ता क्यौ कर रहे हो। " इतना कहकर उसने बच्चे से ही पूछा कि बेटा तुझे कौनसा खिलौना चाहिए।
बच्चे ने उस खिलौने पर हाथ रखदिया और रामू ने दुकानदार को खिलौने के पैसे दे दिए । बच्चा खिलौना पाकर बहुत खुश था । अब वह बच्चा इस तरह मुस्करा रहा था कि जैसे उसे दुनिया का खजाना मिलगया हो। उस बच्चे की खुशी देखकर रामू को बहुत शान्ति व सकून मिला।
यह सकून व शान्ति पाकर रामू अपनी रानी गुडि़या के लिए बिना गुडिया लिए ही बापिस चला गया। परन्तु उसे आज खुशी मिली थी वह उससे खुश था।
इति
दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना।
नरेश शर्मा। " पचौरी "
19/06/2022
Seema Priyadarshini sahay
22-Jun-2022 11:44 AM
बहुत खूबसूरत
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Punam verma
20-Jun-2022 11:17 AM
Nice
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Shrishti pandey
20-Jun-2022 10:23 AM
Very nice
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